मेरा परिचय और रोज़ का काम
मेरा नाम काल्पनिक है। मैं एक AEPS संचालक हूँ, मोबाइल दुकान चलाता हूँ, और UPI से छोटा-मोटा लेन-देन भी करता हूँ। मेरा काम लोगों की मदद करना और अपने छोटे-से बिज़नेस को चलाना है। लेकिन एक दिन, लालच और जल्दबाज़ी में मैंने ऐसी गलती की, जिसका खामियाज़ा मुझे बहुत भारी पड़ा। ये कहानी है मेरे साथ हुए UPI साइबर फ्रॉड की।
कैसे शुरू हुआ ये फ्रॉड
एक दिन, हमेशा की तरह मेरी दुकान पर एक ग्राहक आया। उसने कहा:
“भैया, मुझे 5,000 रुपये की ज़रूरत है। मैं आपको UPI से पेमेंट कर देता हूँ, आप कैश दे दीजिए। मैं यहाँ डॉक्टर के पास आया हूँ, और वो UPI से पेमेंट नहीं ले रहे।”
मैंने मानवता और अपने काम के चलते, बिना ज्यादा सोचे, उसे 5,000 रुपये कैश दे दिए। उसने UPI से पेमेंट किया, और सब ठीक लग रहा था। फिर उसी वक्त उसने कहा:
“भैया, कल मेरा ऑपरेशन है। मुझे 95,000 रुपये और चाहिए। आप दे सकेंगे?”
मैंने थोड़ा सोचा और कहा, “ठीक है, कोशिश करेंगे।”
अगला दिन – फ्रॉड का जाल

अगले दिन वही लड़का फिर आया। उसने मेरे UPI पर 95,000 रुपये भेजे। इस तरह कुल मिलाकर 1,00,000 रुपये का लेन-देन हो गया। मैं अपने नज़दीकी SBI ATM गया, पैसे निकाले, और दुकान पर आकर उसे गिनकर दे दिए। वो मेरी दुकान पर बैठा रहा, और सब कुछ सामान्य लग रहा था।
लेकिन आधे घंटे बाद मेरे मोबाइल पर बैंक से एक मैसेज आया:
“आपके खाते पर Lien Hold लगाया गया है।”
मैं समझ गया कि मेरे साथ साइबर फ्रॉड हो गया है।
डर और परेशानी की शुरुआत
मैं इतना डर गया कि तुरंत दुकान बंद की और बैंक भागा। लेकिन वहाँ सर्वर की दिक्कत की वजह से कुछ पता नहीं चला। मैं वापस लौटा, लेकिन डर के मारे मेरी हालत खराब थी। मुझे डर था कि कहीं पुलिस केस न बन जाए।
अगले दिन बैंक गया, तो पता चला कि साइबर सेल की तरफ से मेरे खाते पर होल्ड लगाया गया है। मैं तुरंत नज़दीकी साइबर सेल ऑफिस गया। वहाँ मुझसे पूछताछ हुई:
“तुम उस लड़के से पहले मिले हो? उसका कोई सबूत है तुम्हारे पास?”
मैंने सब सच-सच बता दिया। उन्होंने मेरा पता नोट किया और जाने को कहा। लेकिन मेरा डर कम नहीं हुआ।
मानसिक हालत – टूटने की कगार पर
इस घटना ने मुझे अंदर से तोड़ दिया। डर, शर्मिंदगी, और बदनामी के डर से मैं सुसाइड तक करने के बारे में सोचने लगा। लेकिन फिर मैंने खुद को समझाया:
“मैंने कोई गलती नहीं की। मैं खुद इस फ्रॉड का शिकार हूँ।”
ये सोचकर मैं रुका, लेकिन डर अब भी बना रहा।
मेरी सबसे बड़ी गलतियाँ
इस घटना में मैंने ये गलतियाँ कीं, जो मुझे नहीं करनी चाहिए थीं:
- बिना सोचे-समझे इतना बड़ा लेन-देन: मैंने 1,00,000 रुपये का कैश ट्रांज़ैक्शन बिना पूरी जाँच किए कर दिया।
- पहचान पत्र नहीं लिया: मैंने उस ग्राहक से कोई ID प्रूफ या डॉक्यूमेंट नहीं माँगा।
- अनजान व्यक्ति पर भरोसा: मैं उसे जानता तक नहीं था, फिर भी भरोसा कर लिया।
मुझे क्यों शक है कि ये प्लानिंग थी

मुझे ऐसा लगता है कि ये प्लान्ड UPI फ्रॉड था। मेरे शक की वजहें:
- पहले दिन जब 5,000 रुपये डेबिट हुए, तब खाता धारक ने कोई शिकायत नहीं की। अगर फ्रॉड हुआ था, तो तुरंत एक्शन लेना चाहिए था।
- फ्रॉड के ठीक आधे घंटे बाद मेरे खाते पर होल्ड लगा। ऐसा लगता है जैसे वो इंतज़ार कर रहे थे कि उनका आदमी कैश लेकर निकल जाए।
- खाता धारक का कहना था कि उसका फोन चोरी हो गया था, लेकिन सिम को बंद करवाने में एक हफ्ता लगा। आमतौर पर लोग तुरंत सिम बंद करवाते हैं।
- सबसे बड़ा सवाल: बिना UPI पिन और सिम के UPI ट्रांज़ैक्शन कैसे हो सकता है?
ये सारे सवाल मुझे ये सोचने पर मजबूर करते हैं कि शायद फ्रॉड करने वाला और खाता धारक आपस में मिले हुए थे।
मैंने क्या किया
मैंने एक वकील से फोन पर बात की, जो मुझे Quora से पता था। उन्होंने ज्यादा संतोषजनक जवाब नहीं दिया, लेकिन सलाह दी कि मैं भी एक शिकायत दर्ज करूँ। मैंने तुरंत cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज की।
क्यों दर्ज की शिकायत?
क्योंकि मुझे शक था कि ये सब एक सोची-समझी साजिश थी। अगर मैं शिकायत नहीं करता, तो शायद सारा दोष मुझ पर ही आ जाता।
इस घटना से मिली सीख
इस साइबर फ्रॉड ने मुझे बहुत कुछ सिखाया। अगर आप भी AEPS, UPI, या कैश लेन-देन करते हैं, तो ये सावधानियाँ बरतें:
- बड़ी रकम का लेन-देन न करें: खासकर अनजान लोगों के साथ।
- पहचान पत्र ज़रूर लें: ID प्रूफ की फोटो कॉपी और फोटो रखें।
- अनजान लोगों से UPI पेमेंट न लें: फ्रॉड करने वाले लोग पेमेंट करके निकल जाते हैं, और छोटा-मोटा ईमानदार रोज़ कमाने-खाने वाला व्यक्ति इस जंगल में फंस जाता है।
- शक होने पर तुरंत शिकायत करें: 1930 साइबर हेल्पलाइन या cybercrime.gov.in पर तुरंत संपर्क करें।
- बैंक को सूचित करें: ट्रांज़ैक्शन में कुछ गड़बड़ लगे, तो तुरंत बैंक को बताएँ।
- UPI पिन की गोपनीयता: UPI पिन किसी के साथ शेयर न करें, और सुनिश्चित करें कि आपका सिम सुरक्षित है।
निष्कर्ष – सावधानी ही बचाव है
ये घटना मेरे लिए एक ज़िंदगी बदल देने वाला सबक थी। मैंने सीखा कि व्यापार में भरोसा जरूरी है, लेकिन बिना पुष्टि के इतना बड़ा लेन-देन करना आर्थिक आत्महत्या हो सकता है। साइबर अपराधी हर दिन नए तरीके निकाल रहे हैं, और हमें हर कदम पर सतर्क रहना होगा।
मेरी यही सलाह है — सावधान रहें, क्योंकि साइबर अपराधी हर दिन नए जाल बुन रहे हैं। अगर मेरी कहानी से आप एक भी सावधानी बरतते हैं, तो शायद आप इस तरह के UPI फ्रॉड या AEPS फ्रॉड से बच सकते हैं।