उम्मीद और जुनून पर टिकी ज़िंदगी — मेरी दुकान की सच्ची कहानी
पिछली पोस्ट में ब्लॉगिंग जर्नी और लाइफ की परेशानियों की दास्तां बयां किया था। आज आपके साथ एक और सच्चा अनुभव शेयर कर रहा हूं, जो शायद आपके भी काम आएगा किसी न किसी रूप में।
हुआ यूं…
मेरा ब्लॉग तो बंद ही हो गया था, बस किसी तरह दुकान खोला। लेकिन बिना अनुभव, सिर्फ उम्मीद और जुनून पर कोई कदम उठाना कितना नुकसानदायक होता है, वो जान लेजिए!
सीएसपी जॉब से तंग आ चुका था
जैसा कि मैंने बताया था, मैं सीएसपी में जॉब करता था। लेकिन उसमें इतनी परेशानी थी कि मैं तंग आ चुका था। मुझे लगता था कि मेरी सारी समस्या बैंकिंग जॉब यानी सीएसपी की वजह से है। इसलिए मैंने सोच लिया था — हर हाल में छोड़ना है और खुद का बिजनेस सेटअप करना है।
लेकिन जानकारी जीरो थी, बस था तो जुनून!
मैंने ठान लिया कि जब तक मेरी दुकान चालू नहीं हो जाती, तब तक सीएसपी नहीं छोड़ूंगा। खाली टाइम में तैयारी करता रहा। लेकिन Lack of Knowledge की वजह से दुकान शुरू होने के 2 महीने के अंदर ही करीब 50 हजार का नुकसान हो गया।
एक तो छोटा बिजनेस ऊपर से शुरुआत — लेकिन कैसे हुआ ये सब?
आज एक-एक पॉइंट बताऊंगा ताकि आप भी कोई काम शुरू करने से पहले सोच-समझकर कदम उठाएं।
देखभाल की कमी और ज्यादा विश्वास
पहले शॉप का लोकेशन देखा — रूम टूटा-फूटा था, रिपेयरिंग जरूरी थी। आसपास कोई जान-पहचान नहीं थी। जैसे-तैसे एक व्यक्ति मिला, उसे काम पर लगा दिया, और पूरा भरोसा कर बैठा।
नतीजा:
जैसे-तैसे काम करके ऊपर से भरपाई ज्यादा करवा गया। काम का क्वालिटी खराब, पैसा ज्यादा।
✅ सीख: जब भी कहीं रूम किराए पर लें और रिपेयरिंग हो, तो किसी जानकार से काम कराएं। सामने रहकर उनका हाथ बंटाएं। वरना आप समान भी दे देंगे और काम भी आधा-अधूरा मिलेगा।
फर्नीचर का खेल
मोबाइल एक्सेसरीज की दुकान है तो रैक वगैरह जरूरी था। एक जानकार के जरिए किसी से मिलवाया गया। लेकिन वहां भी वही गलती — काम छोड़ दिया और बैंक में चला गया।
नतीजा:
जहां 25 हजार में काम होना था, वहां 45 हजार खर्च हो गया। दो साइड रैक और एक छोटा काउंटर — काम क्वालिटी का, खर्च ज्यादा।
✅ सीख: जानकारी का अभाव और भरोसे का नतीजा नुकसान होता है। फर्नीचर का काम खुद साथ रहकर करवाओ।
इलेक्ट्रिशियन और क्लीनिंग
इलेक्ट्रिकल में ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। क्लीनिंग का काम दोस्तों ने मिलकर कर दिया। ये सब जरूरी है, खासकर तब जब फंड कम हो। जितना खुद कर सकते हो, करो। फालतू खर्च से बचो।
ऑनलाइन प्रोडक्ट की सबसे बड़ी गलती
शॉप ओपनिंग से पहले कुछ प्रोडक्ट रखना जरूरी था। मैंने सोचा ऑनलाइन सस्ता मिल रहा है — स्मार्ट बनने के चक्कर में प्रोडक्ट मंगवा लिया।
नतीजा:
एक महीने बाद ही 20 हजार का नुकसान। कस्टमर की कंप्लेंट्स आने लगीं। जो प्रोडक्ट बिक गया, उसके बाद बदनामी। जो नहीं बिका, वो आज भी पड़ा हुआ है।
✅ सीख: ऑनलाइन सस्ता माल नुकसान करवा सकता है। स्टार्टिंग में लोकल मार्केट से ही काम करो।
मार्केटिंग और दोस्तों का सपोर्ट
ऑफलाइन मार्केटिंग मैंने और एक दोस्त ने मिलकर की। प्रोडक्ट की सेटिंग हो गई। 01 जुलाई को विधिपूर्वक पूजा कर दुकान खोली। धीरे-धीरे काम चल पड़ा। लेकिन बीच में कई बार लगा कि दुकान बंद करनी पड़ेगी। दोस्तों का साथ न होता तो शायद हो भी जाता।
लाइफ का सबसे बड़ा सबक — मेरी जुबानी
इन सब घटनाओं से मैंने जो सीखा, वो आपके लिए भी जरूरी है:
✅ बिना पूरी जानकारी के कोई कदम मत उठाना।
✅ लोगों पर आंख बंद करके भरोसा मत करो।
✅ शुरुआत में खुद की मेहनत सबसे जरूरी है।
✅ प्रोडक्ट और कारीगर में क्वालिटी पर समझौता न करें।
✅ दोस्तों का साथ सबसे बड़ा इन्वेस्टमेंट है।
✅ नुकसान होगा, गिरोगे भी, लेकिन सीख के साथ दोबारा खड़े हो सकते हो।
आखिर में
मुझे उम्मीद है मेरी ये सच्ची कहानी आपको कुछ सिखाएगी। अगर आपको लगे कि ये बात किसी और के काम आ सकती है तो जरूर शेयर कीजिए।
और हां, मेरे साथ जो अगली घटना घटी, वो इतनी बड़ी थी कि शायद कोई नया व्यक्ति होता तो उसे दुकान बंद करनी पड़ती।
इसकी पूरी कहानी अगली पोस्ट में बताऊंगा, ताकि आप भी जानो — असली जंग तो अभी बाकी थी। मिलते हैं अगली पोस्ट में, और भी तजुर्बे, परेशानियों और उनके हल लेकर।
तब तक के लिए अलविदा, अपना ख्याल रखना, जय हिंद।