मेरा सफर: एक गांव से ब्लॉगिंग तक की कहानी
मेरा नाम मनीष है। मैं बिहार के मुज़फ्फरपुर ज़िले के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं। मुझे बचपन से ही इंटरनेट में बहुत दिलचस्पी थी। शायद इसी वजह से 2016 में मैंने पहली बार ब्लॉग बनाया – Blogspot डोमेन पर। लेकिन उस वक़्त जानकारी की बहुत कमी थी और न ही कोई सही गाइड करने वाला था। नतीजा ये हुआ कि कुछ ही दिनों में ब्लॉग डिलीट करना पड़ा।
ब्लॉगिंग की शुरुआत और संघर्ष
लेकिन उसी दौरान मैंने हार नहीं मानी। ब्लॉगिंग को लेकर दिलचस्पी बढ़ती गई और मैंने खूब रिसर्च करना शुरू किया। फिर मैंने Hindimehelp वेबसाइट को देखकर कुछ सीखने की कोशिश की और उसी से मिलता-जुलता एक ब्लॉग Hindivhelp नाम से बनाया। छोटे-छोटे पोस्ट्स लिखता रहा। इसी दौरान मैंने सीखा – Search Console क्या है, SEO क्या होता है, Custom Domain कैसे काम करता है।
धीरे-धीरे इतना जान गया था कि एक प्रॉपर ब्लॉग स्टार्ट किया जा सके। लेकिन फिर भी दिक्कतें थीं – जैसे थीम एडिटिंग, डोमेन पॉइंटिंग, इत्यादि। उस समय YouTube आज जितना पावरफुल नहीं था, तो ज्यादा जानकारी नहीं मिलती थी। मैंने कई पुराने ब्लॉगर्स से कॉन्टेक्ट करने की कोशिश की, लेकिन बहुत कम लोगों का ही जवाब मिला।
एक नई दिशा: Juhi Rani से मुलाकात
इसी बीच मिली Juhi Rani… इनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला और उनके गाइडेंस से मेरे ब्लॉग को एक नई दिशा मिली। जुलाई 2017 में मैंने अपना कस्टम डोमेन पॉइंट किया। तब तक ब्लॉगस्पॉट डोमेन पर ही ऐडसेंस अप्रूवल मिल चुका था, तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई।
सब कुछ धीरे-धीरे बेहतर होता गया। फिर 2018 के नवंबर में पहली बार ऐडसेंस से इनकम आई – लगभग ₹28,000। ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी। 2020 के मार्च तक सब कुछ बढ़िया चल रहा था। ब्लॉग ही मेरी दुनिया बन चुका था।
Covid के बाद की ज़िंदगी
फिर आया कोरोना… और ज़िंदगी बदल गई। Covid के दौरान भी ज़िंदगी ठीक-ठाक चली, लेकिन 2022 के बाद सब कुछ बदलने लगा। धीरे-धीरे ब्लॉगिंग से मन हटता गया, और मैं इससे दूर होता चला गया।
अब जो कुछ बीता है, वो वाकई बहुत अलग है… और वो सब अगले पार्ट में बताऊंगा।
दिल से निकली बात
और हां, माफ़ कीजिएगा अगर आपको लगे कि मैं बकवास कर रहा हूं, लेकिन क्या करूं – दिल बहुत दुखी है। जब इंसान अंदर से टूटा हो और किसी से कह न पाए, तो शब्द ही सहारा बनते हैं।
इसलिए लिख रहा हूं। शायद कोई पढ़ ले, समझ ले।
अगर आप भी इस दौर से गुज़रे हैं तो लिख भेजिए – चाहे मैसेज हो, ऑडियो हो, वीडियो हो, जो भी हो। हम दोस्त हैं… और दुख-दर्द अब ऐसे ही बांटा करेंगे।
दिखावे की दुनिया में असलीपन की तलाश
इस रील और दिखावे के ज़माने में, असली जज़्बात कहीं खो से गए हैं। मैं उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहा हूं।
मुझे पता है सबके पास पढ़ने का वक़्त नहीं होता, लेकिन मुझे लिखने से सुकून मिलता है… इसलिए लिखा। और ये तो बस शुरुआत है…